9 नवंबर 2025 को जापान के Honshu द्वीप के पूर्वी तट पर एक शक्तिशाली भूकंप आया जिसकी तीव्रता लगभग 6.8 से 6.9 मापांक के बीच रही। भूकंप का केंद्र Iwate Prefecture के समुद्री क्षेत्र में था और यह 10 किलोमीटर की गहराई पर उत्पन्न हुआ। यह झटका स्थानीय समयानुसार शाम 5:03 pm पर महसूस किया गया और कुछ ही मिनटों में देशभर के कई हिस्सों में हलचल मच गई। जापान के मौसम विभाग ने शुरुआत में त्सुनामी की चेतावनी जारी की, क्योंकि यह झटका समुद्र के नीचे आया था, लेकिन कुछ घंटे बाद चेतावनी हटा ली गई। हालाँकि, कुछ बंदरगाहों पर 20 से 25 सेंटीमीटर ऊँची लहरें दर्ज की गईं, जिससे लोगों में थोड़ी दहशत फैल गई।
इस भूकंप के बाद कई आफ्टरशॉक्स यानी बाद के झटके भी महसूस किए गए। जापान टाइम्स और AP न्यूज़ के अनुसार, फिलहाल किसी बड़े नुकसान या जनहानि की सूचना नहीं है। सबसे राहत की बात यह रही कि क्षेत्र में मौजूद परमाणु संयंत्रों में कोई असामान्यता नहीं पाई गई। जापान सरकार ने तुरंत राहत और आपदा प्रबंधन दलों को सक्रिय कर दिया ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटा जा सके।

क्यों आया यह भूकंप?
जापान भौगोलिक रूप से “Ring of Fire” नामक क्षेत्र में स्थित है, जो पृथ्वी की उन जगहों में आता है जहाँ कई टेक्टोनिक प्लेटें एक-दूसरे से टकराती या खिसकती रहती हैं। इसी खिसकाव के कारण समय-समय पर यहाँ भूकंप आते रहते हैं। यह क्षेत्र अत्यधिक सक्रिय माना जाता है, इसलिए जापान दुनिया के उन देशों में शामिल है जहाँ भूकंप-रोधी संरचनाएँ और सुरक्षा प्रशिक्षण सबसे उन्नत हैं।
त्सुनामी और सतर्कता
भूकंप के बाद जैसे ही समुद्री हलचल दर्ज हुई, तुरंत त्सुनामी अलर्ट जारी कर दिया गया। विशेषज्ञों का अनुमान था कि 1 मीटर तक ऊँची लहरें आ सकती हैं, लेकिन वास्तविकता में लहरें केवल कुछ सेंटीमीटर की ही थीं। जापान के तटीय इलाकों में मौजूद लोगों को तत्काल ऊँचाई वाले इलाकों में जाने की सलाह दी गई थी। यह सतर्कता बताती है कि जापान किस तरह आपदा प्रबंधन में तत्पर है।
भूकंप के समय क्या करें
भूकंप आने पर सबसे पहले घबराएँ नहीं। सुरक्षित जगह पर “Drop, Cover and Hold” यानी नीचे झुकें, सिर और शरीर को किसी मजबूत वस्तु (जैसे टेबल) से ढकें, और तब तक वहीं रहें जब तक झटके रुक न जाएँ। यदि आप तटीय क्षेत्र में हैं और झटका समुद्र से आया है, तो तुरंत ऊँचाई वाले क्षेत्र की ओर जाएँ। मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट भले बंद हो जाएँ, लेकिन बैटरी-रेडियो जैसे माध्यमों से सूचनाएँ लेते रहें।

नुकसान और प्रशासनिक प्रतिक्रिया
अब तक की रिपोर्टों में कोई बड़ा नुकसान सामने नहीं आया है। कुछ घरों और सड़कों पर मामूली दरारें ज़रूर आई हैं, लेकिन जापान की उन्नत इमारत-निर्माण तकनीक ने बड़े हादसे को टाल दिया। सरकार ने Iwate प्रान्त में राहत दलों को तैनात कर दिया है और मछुआरों को समुद्र से दूर रहने की हिदायत दी गई है।
भारत के लिए क्या सीख है?
भारत के कई तटीय राज्य — जैसे अंडमान-निकोबार, ओडिशा, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र — भी भूकंप और त्सुनामी के ख़तरे वाले क्षेत्रों में आते हैं। जापान की तैयारी और तत्परता से हमें यह सीख मिलती है कि आपदा के समय केवल प्रौद्योगिकी नहीं बल्कि जागरूकता भी सबसे बड़ा हथियार है। भारत में भी आपदा प्रबंधन विभाग को जापान जैसे अभ्यास और पूर्व चेतावनी प्रणाली पर अधिक ध्यान देना चाहिए।